Friday, September 25, 2009

ज़िन्दगी और पल

कुछ यादों के पल, कुछ इरादों के पल
बनते- बिगड़ते वादों के पल


पलों की झुरमुट में ज़िन्दगी का आशियाना 
भीगते गुलाबों में मासूमियत का तराना
कुछ तरानों के पल, कुछ निशानों के पल
प्यार के अनगिनत फसानों के पल 


ज़िन्दगी कभी आंसूओं की बारिश में लहकती 
फिर कभी झूमती बहारों सी महकती 
कुछ ऐसी-ही बहारों के पल, और कुछ साथ अंगारों के पल
सब उस खुदा की नेमत, बस उसी के नजारों के पल


उम्र-से लंबे पलों, किस्सों की कहानी
किस्सों-सी बदलती उम्र की जुबानी
कुछ इम्तिहानो के पल, कुछ बस बहानों के पल
कुछ सच्चे- झूठे यारानों के पल
...
..
.
पलों की ज़िन्दगी... पलों सी ज़िन्दगी
पलों में बीतती, पलों में ठहरती 
पलों में बनती, बिखरती, टूटती, संवरती......


कभी इठलाती, शर्माती... कभी मुस्कुराती...
कभी बरसती यूँ की बस आखिरी सावन हो ये 
कभी हंसती यूँ की बस रोना सीखा ही ना हो


रेत कसी मुट्ठी-से पागलों से पल 
ज़िन्दगी की दौलत, बादलों से पल 


- अ 
सितम्बर २५, २००९
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नीचे की पंक्तियाँ, इस कविता पर कविता है..


"शायद सही अंत नहीं पता मुझे इस रचना का
जब मिल जाएगा तब शेष करूंगी..
पर मुसीबत ज़िन्दगी की यह हैं हुज्रूर
जब बीत जाऊंगी, तब कैसे (!) इसकी कहानी कहूँगी! ..."










4 comments:

SS said...

I cannot believe you wrote this. Its beautiful! Looks straight out of the book of a great Poet. You are really good at this!

SS said...

And oh I am extremely impressed with your Hindi! Anyway, How have you been? Hope you are doing well..

Sudhanshu Sharma said...

This is your creation at best. Bahut achhi kavita.

Anjali blogs... said...

Thankyou!